इतिहास और इस्थापना
उपलब्ध सूचना के आधार पर गिरजाघर के निर्माण कर शुभारंभ एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट इलाहाबाद के एक समर्पित तथा उत्साहित दंपति श्री तथा श्रीमती मेसन वॉह कर कमल द्वारा सन 1935 में किया गया | इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के कृषि इंजीनियर के रूप में इंजीनियरिंग विभाग में नियुक्त किए गए थे | श्रीमती मेसन वॉह एक ग्रहणी थी | ईसाई समुदाय एवं इंस्टीट्यूट के आसपास ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थितिसुधारने के लिए वह हमेशा तत्पर समर्पित रहती थी | श्री तथा श्रीमती मेसन वॉह विभिन्न चर्च कार्यक्रमों तथा यमुना कलीसिया से जुड़े हुए विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते तथा इलाहाबाद चर्च काउंसलरके कार्यकर्ताओं के साथ मिलते रहते | यमुना पार क्षेत्र में छोटा सा ईसाई समुदाय रहता था, यातायात की आज सुविधा के कारण उनका रविवार्य प्रार्थना सभा में आना कठिन होता था | इस कारण श्री मेसन वॉह ने इलाहाबाद चर्च काउंसिल से अनुनय-विनय की और तत्कालीन यू.सी.एन.आई के साधारण सचिव डॉक्टर अगस्टिन रल्लाराम से भी प्रार्थना कीकि वह इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट को एकअभिषेक पादरी दे ताकि वह रविवार्य उपासना तथा विभिन्न चर्चाओं की सेवा कर सकें | श्री तथा श्रीमती मेसन वॉह अमेरिका के प्रेसबीटेरियन चर्च के मिशनरी पादरी के रूप में इलाहाबाद एग्रीकल्चर में नियुक्त हुए|
उनकी नियुक्ति के बाद श्री तथा श्रीमती ने अपना लोगों के साथ संपर्क बनाए रखा, विशेष रूप में इंस्टिट्यूट के आसपास के गांव में; जैसे-महेवा,इंदलपुर,टिकूरी, क्रिश्चियन विला तथाइसी बस्ती के लोगों के साथ | प्रथम प्रार्थना सभा श्री तथा श्रीमती मेसन वॉह, श्री तथा श्रीमती आर.एम विंसेंट, श्री फेनियल, श्री मंगल दास और श्री पुत्तन लाल यमुना चर्च के रेव्ह. जॉन जेड जमन आदि लोगों से मिलकर की थी | इन सब ने चर्च के प्रार्थना सभा के मॉडरेटर के रूप में 1935 में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया |
रेव्ह. जॉन जेड जमन इस प्रार्थना सभा में नियमित रूप से आने लगे | वे सब ईसाई विधियों तथा प्रभु भोज की विधि का भी पालन करते थे | इस प्रकार से नियमित विनम्रतापूर्ण प्रार्थना के द्वारा कलीसिया की स्थापना छोटे रूप में प्रारंभ हुई |
ईसाई समुदाय के लोग पारिवारिक प्रार्थना दल के रूप में नियमित रूप से इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के इंजीनियरिंग हाल में या तो श्री वॉह के ऑफिस में या रेव्ह. जॉन जेड जमन, जो कि इलाहाबाद एग्रीकल्चर काउंसिल के यू.सी.एन.आई की तरफ से मॉडरेटर के रूप स्थापित किए गए थे, के आध्यामिक परिचालन तथा निर्देशन में नियमित प्रार्थना में आते थे |
नैनी के आसपास पहले हुए कुछ इसी परिवार थे | लेकिन उनके लिए यमुना उसे पर क्षेत्र में कोई बड़ा गिरजाघर नहीं था, जो कि उनकी सेवा कर सके | इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु श्री मेसन वॉह ने डॉ. अगस्टिन रल्लाराम, यू.सी.एन.आई के सचिव महोदय से विनती की, और सन 1935 में रेव्ह. जॉन जेड जमन के रूप में एक अभिषिक्त पादरी तथा प्रेसबिटर जो की यू.सी.एन.आई का प्रथम मॉडरेटर होकर इलाहाबाद एग्रीकल्चर के नैनी ईसाई समुदाय को महत्वपूर्ण योगदान दिया |
प्रथम पास्ट्रेट समिति की इस्थापना
जैसे ही रेव्ह. जॉन जेड जमन की नियुक्ति हुई, उन्होंने निम्नलिखित व्येक्तियो को अपने
पास्ट्रेट समिति का सदस्य बनाया -
रेव्ह. जॉन जेड जमन - मॉडरेटर
श्री आर.एम विंसेंट - सचिव
श्री मेसन वॉह - खजांची
श्री पुतन लाल - सदस्य
श्री ए. डी. चन्द - - सदस्य
इस प्रकार प्रथम पास्ट्रेट समिति का अधिवेशन 10 अक्टूबर 1935 में रेव्ह. जॉन जेड जमन की अध्यक्षता में इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट के इंजीनियरिंग हॉल में हुई |
गिरजाघर: निर्माण, स्थापना और दायित्व
गिरजाघर निर्माण समिति केवल दो सदस्यों को ले कर गठित की गए, श्री मेसन वॉह और श्री आर.एम विंसेंट | गिरजाघर निर्माण के सन्दर्भ में इन दोनों सदस्यों को निम्नलिखित दायित्व दिए गए -
(अ) गिरजाघर निर्माण के लिए भूमि के मामले में इस समिति को सम्पूर्ण अधिकार दिया गया ताकि ये किसी भी व्यकती / संस्थान के साथ बातचीत कर सके |
(ब) रविवारिय गिरजा के लिए एक कमरा या भवन की खोज |
(स) शिक्षक प्रशिक्षक कंपाउंड, चमड़ा गोदाम नैनी में स्थित एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर से अस्थायी रूप से अनुमति लेना, जिससे की वहा रविवारिय आराधना की जा सके |
गिरजाघर निर्माण चंदा समिति
निम्नलिखित सदस्यों के नाम नामांकित किये गए -
श्रीमती सी. पी. वॉह - चेयरमैन
श्रीमती मेसन वॉह - सदस्य
श्री आर.एम विंसेंट - सदस्य
इसी समय की प्रथम साधारण सभा की गयी |
अप्रैल सन् 1941 में इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट शिक्षक प्रशिक्षक कंपाउंड, चमड़ा गोदाम को वही की बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर ने रविवारिय उपासना सभा करने के लिए एक भवन दिया |
गिरजाघर निर्माण के लीये भूमि का दान
250’ * 200’ आकार की एक भूमि नैनी कम्युनिटी चर्च, नैनी कंपाउंड के लिए दान की गई |
बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर, इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट ने बड़े अनुग्रह के साथ नैनी कम्युनिटी चर्च को एक भूमि प्रदान करके अभिषिक्त किया |
गिरजाघर निर्माण छेत्र का अनुमोदन
कलीसिया की साधारण सभा और इलाहाबाद चर्च काउंसिल की साधारण सभा जो कि 16 दिसम्बर 1951 में हुई | उन्होंने गिरजाघर भवन के लिए स्थान का अनुमोदन किया |
कलीसिया का नाम
श्री मंगरू प्रसाद जो कि पास्ट्रेट समिति के वरिष्ठ सदस्य थे, की अध्यक्षता में एक विशेष सभा का आयोजन किया गया और मॉडरेटर रेव्ह. जे. डब्लू. प्रिनटाइस की अनुमति के अनुसार 16 दिसम्बर 1951 में ये सिद्धान्त सर्वसम्मत्ति से मान लिया गया की कलीसिया का नाम “नैनी कम्युनिटी चर्च” इलाहाबाद के नाम पर रखा जायेगा |
नैनी कम्युनिटी चर्च की नीव
कलीसिया के प्रारंभ में जो मीटिंग 26 नवम्बर 1952 में हुई थी, उसी सभा के अनुसार निर्माण कमिटी को कलीसिया ने गिरजाघर निर्माण में अग्रसर होने की अनुमति दे दी | इसी तरह गिरजा घर भवन का एक नक्षा इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के एक सीनियर प्रोफेसर सी. बी. पाल ने उपस्थापना की |
10 अप्रैल 1954 में श्री तथा श्रीमती मेसन वॉह ने गिरजाघर भवन की नीव रखी और रेव्ह दीनदयाल मॉडरेटर ने नैनी कम्युनिटी चर्च को आशीषित किया |
इसी प्रकार प्रभु ईसा मसीह की प्रार्थना के साथ 3 अप्रैल सन 1955 में पादरी रेवरेंस दीनदयाल ने गिरजाघर को सार्वजनिक रूप से उपासना के लिए उपसर्ग किया
3 अप्रैल 1955 में नैनी कम्युनिटी चर्च सब लोगो की उपासना की सेवा के लिए समर्पित किया गया |
गिरजाघर निर्माण तथा अन्य हेतु भूमि दान
मेसर मैसनवाह श्री र.न. विन्सेन्ट और दूसरे गिरजाघर कमेटी के सदस्यों के अथक परिश्रम के जरिए इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट ने बड़े श्रद्धा और दया के साथ तीन चरणों में भूमि दान की जिसके लिए नैनी कम्युनिटी चर्च आज भी इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के आभारी है
(क) कब्रिस्तान के लिए भूमि:-
इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट की परिचालन कमेटी ने अपने इंस्टिट्यूट काउंसिल कर 45-5 के अनुसार कब्रिस्तान के लिए भूमि दान की इंस्टिट्यूट के काउंसलिंग के नियम में ऐसा कहा गया क्योंकि ‘हम बोर्ड आफ डायरेक्टर से या सिफारिश करते हैं कि नैनी कम्युनिटी चर्च के कब्रिस्तान के लिए 10 बिस्वा जमीन दिया जाए जो की भूमि पदाधिकारी के पत्र डी.ओ.न.5851XXIV-227-1947, 22 जनवरी सन 1949 के अनुसार नैनी कम्युनिटी चर्च के मॉडरेटर को प्रदान किया था ”
आज यह बड़ी चिंता का विषय है कि जो कब्रिस्तान के लिए भूमि है उसका इस्तेमाल हो चुका है इसके अतिरिक्त जिनकी मृत्यु हो जाती है उन लोगों को दफनाने के लिए स्थान नहीं है इसलिए हमारे कलीसिया के लोग शुभाकांक्षी लोगों से या प्रार्थना करते हैं कि एक बार और कब्रिस्तान के लिए भूमि उपलब्ध के लिए सहायता प्रदान करें या हमारी बहुत बड़ी आवश्यकता है
(ख) गिरजा भवन निर्माण के लिए भूमि :-
इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के द्वारा समुदाय प्राप्त जमीन = 250’x 200’ (उन्हीं का कार्यकलाप –CA-51-95; CA-52-126; CA-53-219 और BD-51-88 सिद्धांत के अनुसार) |
उपरोक्त सिद्धांत बताता है की एक 250 * 200 का क्षेत्रफल जो की इंस्टिट्यूट के वैधानिक जमीन के रूप में क्रिश्चियन विला के सड़क और अध्यापक प्रशिक्षण के मध्य में है | यह भूमि गिरजाघर निर्माण करने के लिए कोई बाधा नहीं खड़ा करेगा | ‘ नैनी क्लास फैक्ट्री ’ के सामने सड़क के उसे पार जो नए क्वार्टर बना था| उसी के बगल में हमने जमीन को जिसका क्षेत्रफल 200 फीट सामने 250 फीट चौड़ाई में था , उसी का अनुमोदन किया
(ग) कलीसिया के विभिन्न कार्य के लिए भूमि:-
एक बार और हम लोग बोर्ड आफ डायरेक्टर इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के आभारी हैं जिन्होंने अपने कार्यकारी सचिव पत्र न. (0), 3 अप्रैल सन 1982 के जरिए से हमारी विनती सुनी और एक भूमि प्रदान की |
अनुमोदन भूमि का क्षेत्र - चकलाल मोहम्मद
परगना - अरैल
जिला – इलाहाबाद
नंबर |
क्षेत्र |
भूमि का दाम |
24 |
01 बि स्सा |
00 |
26 |
2 बीघा 14 बिस्सा |
00 |
कुलयोग :- 2 बीघा 15 बिस्सा |
नैनी कम्युनिटी चर्च के समस्त कार्यकलाप का संचालन
(1) सन 1935 से लगभग 1940 तक - इंजीनियरिंग जो इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट में |
(2) सन 1940 से 1954 तक - शिक्षा प्रशिक्षण कंपाउंड नैनी में |
(3) 3 अप्रैल 1955 से आज तक - नैनी कम्युनिटी चर्च नैनी में |
गिरजाघर का विस्तार
सन् 1992 में कलीसिया ने ये अनुभव किया की इस घर में प्रार्थना सभा करना नामुमकिन है | इसलिए 28 मार्च 1993 की साधारण सभा में तय किया गया की जल्द चर्च बिल्डिंग का विस्तार किया जाये और चर्च चर्च निर्माण जरी किया जाये | यह विस्तार कम से कम 20 फुट का होना चाहिए, जब टेंडर बाज़ार में गया ‘मेसर्स जावेद खा एंड कंपनी’ का टेंडर एक काम को करने के लिए अनुमोदित हुआ | पास्ट्रेट समिति ने इस टेंडर के अनुसार 19 अप्रैल 1993 में 1,15,000.00 की मंजूरी दी | 1994 में इस गिरजाघर का निर्माण कार्य संपन्न हुआ |
नैनी कम्युनिटी चर्च को खुदा ने बहुतायत की अशीह्सो से भरा और इस चर्च की कलीसिया दिन प्रति दिन बढती चली गाइ | सन् 2011 में कलीसिया ने एक बार फिर से यह पाया की चर्च आराधना के लिए छोटा पड़ रहा है, अक्सर बैठने की जगह इतवार की आराधना मई कम पद जाया करती है इस कारण एक दूसरी बार चर्च का विस्तार किया गया |
23 दिसम्बर 2012 में पुनः आराधना सका आरम्भ हुआ |
चर्च में बेंच भी लगे गयी और पार्किंग की व्ययस्था को बढाया गया |